रत्नों का शरीर के सात चक्रों पर प्रभाव - Astro Star India -

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रत्नों का शरीर के सात चक्रों पर प्रभाव

रत्नों का शरीर के सात चक्रों पर प्रभाव




  भारतीय ज्योतिष के अनुसार शरीर में सात चक्र होते हैं, जो कि पूरे शरीर की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये चक्र शरीर में नीचे से ऊपर क्रमशः स्थित होते हैं। इनका क्रम सृष्टि की उत्पत्ति के क्रमानुसार ही है।

  सात चक्रों के क्रमशः सात रंग हैं। सूर्य की रश्मियों को विभक्त करने पर भी क्रमशः बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी और लाल रंग ही क्रमशः बनते हैं। सूर्य की विभक्त हुई हर रंग की रोशनी की अपनी भौतिक व्याख्या है, जो हर रश्मि को दूसरी रश्मि से अलग करती है। इन सबका अपना अपना महत्व है, अपना अपना प्रभाव है और अपने अपने कर्म हैं। इस प्रकार अलग अलग रंग की ऊर्जा शरीर को अलग अलग तरह से प्रभावित करती है। रत्नों की अपनी अपनी आभा भी इसी क्रम में शरीर को अपना अपना प्रभाव देती हैं।

क्रम  - चक्र नाम   - स्थान  - प्रभावित अंग  - रंग  - प्रभाव
7.  सहस्रार चक्र  - मस्तिष्क   - मस्तिष्क, पीनियल बॉडी - बैंगनी  - पूर्ण ज्ञान, ब्रह्माण्ड का सर्वरूपेण ज्ञान, पूर्वानुमान पूर्वाभास की क्षमता, प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बना लेने की क्षमता

6.  आज्ञा चक्र -   भ्रूमध्य - पिट्यूटरी ग्रंथि   - नीला - सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक क्रियाओं पर नियंत्रण होना, मानसिक क्षमताएं अपरिमित हो जाना

5.  विशुद्धि चक्र - कण्ठ - थायराइड, स्वरयंत्र - आसमानी - रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि, हार्मोन्स का स्तर नियंत्रण

4.  अनाहत चक्र  - हृदय - हृदय, फेंफड़े  - हरा  - शारीरिक क्षमता वृद्धि, सर्वरूपेण भावनात्मक दृढ़ता संतुलन

3.  मणिपूर चक्र - नाभि - पाचन संस्थान से जुड़े सभी अंग  - पीला - शारीरिक सुदृढ़ता, सौन्दर्य, सामाजिक पारिवारिक सामंजस्य, सुविचार

2.  स्वाधिष्ठान चक्र - वस्ति प्रदेश,  पुरुषों की अंड ग्रंथियाँ, स्त्रियों की डिंब ग्रंथियाँ - नारंगी - कलात्मकता, प्रेम, कामेच्छा पर नियंत्रण, भावनात्मक संतुलन

1.  मूलाधर चक्र  - गुदा - प्रजनन अंग, अधिवृक्क ग्रंथियाँ, गुर्दे, रीढ़, कमर, पैर - लाल   - स्वस्थ शरीर, शारीरिक क्षमता, जुनून, साहस, शक्ति, स्थिरता, सुरक्षा, प्रजनन क्षमता वृद्धि, पूरे शरीर रूपी वृक्ष की मूल का स्वस्थ होना


  इन सभी चक्रों के अपने रंग हैं जो इनसे निकलने वाले स्पंदन को और इन चक्रों को प्रभावित करने वाले रंगों के स्पन्दन को निर्धारित करते हैं। रत्नों के भी अपने विशिष्ट रंग हैं, उनका स्पन्दन है, जो ये निर्धारित करता है कि कौनसे रत्न का स्पन्दन हमारे शरीर को किस प्रकार प्रभावित करेगा।

  रत्नों के ये सभी प्रभाव जो कहे गए हैं वो ईश्वर द्वारा बनाए गए रत्नों के प्रभाव हैं ना कि मानव द्वारा कृत्रिम रूप से बनाए गए रत्नों के। आजकल बाजार में धोखे से, अज्ञान से या मांग के अनुरूप इनकी सहज रूप से उपलब्धता ना होने के कारण अधिकतर मानव निर्मित कृत्रिम रत्न ही बिकते हैं। इसलिए रत्नों को हमेशा भरोसेमन्द व्यक्ति से ही खरीदना चाहिए।

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